Sunday 27 November 2016

लोरी...हाइकु में

490
लोरी सुहानी
बुन रही है माता
रिश्ते रुहानी
489
सुन के लोरी
निंदिया रानी आई
स्वप्न सजाई।
488
रोता है लल्ला
लोरी गा रही मम्मा
चाँद का चुम्मा।
487
दूध कटोरी
गोल गोल बताशा
मधुर लोरी।
486
अनाथालय
कल्पना बन आती
लोरी की धुन।
485
लोरी तकली
काते स्वप्न के धागे
माता की गोद।
484
लोरी हिरण
कुलाँचे भर लाये
निद्रा की सेज
483
मातृ विहीन
कौन सुनाये लोरी
कहता होरी
482
गोद है सूनी
कलप जाती लोरी
करुण स्वप्न
481
लोरी सलाई
बुन रही ममता
लाडो के ख्वाब
480
लोरी गाती माँ
सूनी रात में बजी
पूजा की घंटी।
479
लोरी सहेली
दबे पाँव ले आई
शिशु पलना
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ऋता शेखर 'मधु'
अंतर्जालीय पत्रिका 'सरस्वती दीप' पर प्रकाशित

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