Wednesday 31 December 2014

खिली कलियाँ|


355

चहका पंछी

जगा अरुणाचल
खिली कलियाँ|

354

भोर किरण

नव वर्ष में लाई

आस- हिरन ।

353

नवीन सत्र

ऋतुराज ले आए

नवल पत्र

352

घर पुकारे

नए साल में आना

राज दुलारे ।

351

ख्वाबों के पाखी

नव तृण चुन लो

काव्य गढ़ लो ।

350

नूतन वर्ष

कानों में कह गया

लाया हूँ हर्ष ।

No comments:

Post a Comment